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मत का प्रयोग मन आया वहाँ किया फिर जनता के प्रति निरंकुशता कैसी


उत्तर प्रदेश में नगर निकाय के चुनाव परिणाम आए आधा पखवाड़ा बीतने बाला है लेकिन स्वयं को बड़ा समझने वाले लोग आज भी हार या जीत का ठीकरा जनता के सिर फोड़ने को बेताब ; यह नहीं देख रहे कि मत का प्रयोग मन आया वहां किया फिर जनता के प्रति निरंकुशता कैसी है वैसे तो जहां चुनाव होते हैं वहां नजरों का अच्छा या बुरा प्रभाव जनमत पर पड़ना स्वाभाविक ही लगता है परंतु नजरों के साथ जीभ और दिमांक भी काम करने लगे तो पद और प्रतिष्ठा के विपरीत मद का अभिप्राय माना जाता है ऐसा ही कुछ जनपद बदायूं की नगर पंचायत रुदायन में  का बाक्या है कि यहां चुनाव में हारने या जीतने वाले दोनों ही पक्ष  जनता के मतों का आदर न कर विरोधाभास पर आए लगते हैं . बताते चलें कि चुनाव में हार या जीत तो किसी न किसी की होती ही है इसका मतलब कदापि यह नहीं होता हम उसका बुरा कर प्रतिफल पाएं, समयानुकूल आज दिन आपका है कल किसी और का हो सकता है इसलिए पूरे नगर को अपना परिवार समझते हुए कृत संकल्पित रहें , जानकारी के मुताबिक विजयी लोग अपने प्रतिष्ठानों पर बैठ कर गणना करते पाए जाते है की फलां ने वोट दिया फलां ने नहीं के साथ कुछ विशेष जाति के लोगों का धन्यवाद कर नगर के लोगों में आंख की किरकिरी बनते चले जा रहें हैं वहीं हारे हुए लोगों ने जनता से दूरी बनाने के साथ - साथ उनके द्वारा दिए मतों का आदर न कर यहां दंड देने के बहाने अग्रिम भविष्य पर भी प्रश्न चिन्ह लगा लिया प्रतीत होता है,यद्धपि ऐसा ही रहा तब निकट भविष्य में उत्तर प्रदेश नगर पंचायतों में आग में झुलस सकती है.

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