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भगवान शंकर पार्वती को कथा सुनाते हुए कहते हैं।देवी मेने एक चोरी की

रुदायन बदायूँ।
शिवम पाठक के मकान के सामने श्री हनुमान मंदिर के निकट अधिक मास पुरुषोत्तम मास में श्री राम कथा महोत्सव में कथा व्यास सोनू जी महाराज ने श्री राम जन्म के बाद की कथा सुनाते हुए भक्तों को भावविभोर कर दिया 
भगवान शंकर पार्वती को कथा सुनाते हुए कहते हैं देवी मैंने एक चोरी की जैसे ही पार्वती ने सुना चौक गई बाबा आपने और चोरी हां देवी हमने तुमसे कुछ छुपाया है मुझसे छुपाया भला कोई अपनी पत्नी से छुपाता है ऐसी कौन सी बात थी जो मुझसे छुपाई बाबा कहते हैं बड़े आनंद की बात है बड़ी प्रसन्नता की बात है हम और का काक भुशुण्डि दोनों मनुष्य रूप में अयोध्या गए पता है। क्यों गए इसलिए गए कि हमारे गुरु हमारे प्रभु का जन्म हुआ है अयोध्या में और हम दोनों गुरु चेला बन कर गए पूरी गली गली में प्रचार किया अवध में ज्योतिषी आए बूडो ब्राह्मण शंकर नाम कहायो,अवध में ज्योतिषी आयो देवी जब महल के द्वार पर पहुंचे अपरिचित जानकर हमें द्वारपालों ने अंदर प्रवेश नहीं करने दिया मन दुखी हुआ सरयू किनारे आ गए सुमिरन करते रहे भगवान से प्रार्थना करते रहे प्रभु दर्शन दो दर्शन दो कई दिन बीत गए सब प्रयास किए प्रदर्शन नहीं हुए तब हमने अंतर्मन से भगवान से कहा प्रभु अगर आपने हमें दर्शन नहीं दिए तो हम इसी सरयू में अपने शरीर को प्रवाहित कर देंगे तब भगवान ने लीला रची खूब रोए,वशिष्ट जी भी आए कोई चुप नही करा पाया तब मां कौशल्या ने अपनी दासियों को सरयू किनारे भेजा ताकि कोई बालक को ठीक करने वाला ज्योतिषी सन्यासी जत्ती मिल जाए दासियों ने हमसे पूछा बाबा आप कुछ जानते हो हम तो उनके साथ दौड़े चले गए महल में हमें भी बुला ले गई और हम दोनों गुरु चेला ने उन के दर्शन की धन्य धन्य हो गए भगवान के चरणों में माथा रखकर आनंद आ गया जी देवी
इस भगवान और भक्तों के प्रेमा अतीत को देखकर सुनकर भक्त बहुत लाभान्वित होंगे  कथा को आगे बढ़ाते हुए जो आनंद के महासागर है जिनका नाम लेकर सुख प्राप्त करते हैं सब ऐसे राजन आपकी सबसे बड़े पुत्र का राम-राम रखता हूं जो सुख के धाम है आपके दूसरे वाले पुत्र का नाम सारे जगत को तृप्त करेगा सारे संसार का भरन पोषण करते हैं त्याग कि प्रतीक त्याग की कुछ भी संभव नहीं होता ऐसे दूसरे पुत्र का नाम में भरत रखता हूं और राजन आपके सबसे छोट पुत्र का नाम लेने मात्र से अंदर के राक्षसों का नाश होगा और बाहरी राक्षस का बह खुद नाश करते हैं अतः मैं आपकी सबसे छोटे पुत्र का नाम शत्रुघ्न राम रखता हूं
आपकी सबसे छोटी से बडे बेटा अति विशिष्ट होगा जिसके गुण लक्षण ही नाम रूप में दिखेगे जो सारे जगत का आधार हे ऐसे इस पुत्र का नाम लक्ष्मण रखता हूं चारों बालकों का नामकरण हुआ माताओं की गोद में चारों बालक धर्म अर्थ काम मोक्ष की तरह नर रूप में सुशोभित हो रहे हैं
भगवान के दर्शन करने के लिए जब तक संत ऋषि भक्त महल के दरवाजे पर आ जाते हैं भिक्षा मांगने आते हैं, और कहते हैं भिक्षा नहीं चाहिए मुझे भिक्षा में बदले आपके लाला के दर्शन चाहिए महल की अंदर झाक कर रोते हैं कहते हैं काश हमें भगवान ने इस महल के पत्थर ही बना दिया होता ताकि हम लाला के हाथों के पैरों के स्पर्श का शुख भोग  सकते हम दुर्भाग्यशाली है और रोकर मां दर्शन करा देती है तो प्रसन्न होकर जाते हैं मां बार-बार भगवान की बलईया लेती है मां ताकि मेरे बेटे को नजर न लग जाए 
आज मां ने‌ राघव को सुंदर सजाया कानों में छोटे से सुंदर कुंडल गले में फूलों का हार वैजंती माला, भाल पर गोरोचन का तिलक लगाया भगवान खेलने चले जाते हैं जब राजा खाना खाने बैठते हैं भगवान को राजा बुलाते हैं और भगवान नहीं आते, सुमंत को भेजते हैं फिर भी भगवान नहीं होता अंत में मां बुला ती है तब भी भगवान नहीं आते‌ मां ने अपना लेहगा ऊपर किया पर भगवान जो की अनन्त ब्रहमांड का नायक है ऐसे मेरी प्रभु दौड़े चले जाते मां पीछे दौड़ती हे भगवान सोचते हैं मेरी मां को कहीं दर्द ना हो परेशानी ना हो इसलिए जमीन पर गिर जाते हैं मां दौड़कर उठाती है गले से लगा लेती है  सबकुछ छोड़ा प्रॉपर्टी संपत्ति छोड़ी परिवार छोड़ा पति तक छोड़ दिया तब जाकर भगवान मिले भगवान कहते हैं कि केवल मेरा लिए गिर है मैं तेरा हूं तेरा ही रहूंगा l
भगवान ने जन्म से और बैकुंठ जाने तक अंहकारियों का अहंकार मिटाया,लेकिन दबे कुचले गरीब निर्बल सभी का छोटापन ,मिटाकर उन्हें ऊंचा उठाया ह्रदय से लगाया प्रेम लुटाया पर क्योंकि भगवान प्रेम के भूखे हैं।
धर्मेंद्र पाठक,मुनेश उपाध्याय,शिवम पाठक,अरविंद उपाध्याय,हिमांशु उपाध्याय,कैलाश पंडित जी,पदम् गुप्ता, कुलदीप गुप्ता ,राजेश पालीवाल, संजीव शर्मा,राहुल पालीवाल, वीरेंद्र मिस्त्री, ज्ञानपाल मिस्त्री,प्रदीप उपाध्याय (फौजी)डॉक्टर रामौतार,
 आदि सैकड़ों भक्त उपस्थित रहे सब ने आरती पूजन कर प्रसाद पाया
  लेखक पं0 महन्त अर्जुन उपाध्याय की कलम से

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