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आखिर चुनाब के समय ही जातिवाद ठेकेदारों के क्यो निकल आते है पर/देखिए पूरी खबर




बिसौली
चुनाव को लेकर जिस तरह जातिवाद की राजनीति शुरू हो जाती है।उसी तरह नगर निकाय चुनाव की घोषणा होते ही जातिवाद करने के लिए नेता सड़क पर आमने सामने हो गए।आखिर इन जातिवाद नेताओ के लिए सिर्फ और सिर्फ चुनाव ही नजर आता है इसके अलाबा कुछ नही ,ये सिर्फ चुनाव के समय मे ही जातिवाद के नेता बनते है,उसके अलाबा क्या कहि बिल में चले जाते है।आपको बता दे बिसौली नगर पालिका में हैट्रिक लगाऐंगे अबरार अहमद या फिर विपक्ष का कोई उम्मीदवार इस बार बाजी मारेगा। कयास लगाए जा रहे हैं कि चुनाव की वर्तमान परिस्थिति निवर्तमान चेयरमेन के पक्ष में दिखाई दे रही हैं जबकि विपक्ष के उम्मीदवार इस बार चेयरमेन की कुर्सी तक पहुंचने के लिए ऐडी चोटी का जोर लगा रहे हैं।
भले ही पूरे प्रदेश व देश में भाजपा का परचम लहरा रहा है लेकिन बिसौली नगर पालिका में लम्बे समय से भाजपा सत्ता से बाहर है। लगातार दो बार से अबरार अहमद नगरपालिका परिषद बिसौली में अध्यक्ष पद पर काबिज रहे हैं। इससे पहले 2006 से 2011 तब अशोक वाष्र्णेय निर्दलीय नगर पालिका से अध्यक्ष रहे थे। लेकिन उससे पहले अशोक वाष्र्णेय की पत्नी कमलेश वाष्र्णेय भाजपा की उम्मीदवार के रूप में विजई हुई थीं इसके बाद से भाजपा बिसौली में लगातार संघर्षरत है। पिछला चुनाव भी भाजपा उम्मीदवार सरिता वाष्र्णेय ने दम खम से लडा था लेकिन भाजपा उम्मीदवार को चुनाव में 784 मतों के अंतर से हार का सामना करना पडा और अबरार अहमद चुनाव जीत गए। इस बार अबरार अहमद फिर से चुनाव मैदान में हैं जबकि भाजपा या किसी भी राजनैतिक पार्टी ने अपना कोई भी उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। भाजपा इस बार चुनाव जीतने के लिए हर हथकंडा अपनाने का प्रयास कर रही है।इस कारण से भाजपा में टिकिट के लिए भी गहरा मंथन चल रहा है। वर्तमान परिस्थितियों पर यदि गौर किया जाए तो निवर्तमान चेयरमेन अबरार अहमद अपने प्रतिद्वन्दियों से आगे दिखाई दे रहे हैं। पूंछने पर अबरार अहमद कहते हैं कि काम किया है काम करेंगे झूंठे वादे नहीं करेंगे और पहले भी नहीं किए हैं। वह कहते हैं कि नगर के विकास के लिए पुरजोर मेहनत करता हूं। जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वन्दी रहीं सरिता वाष्र्णेय का कहना है कि यदि पार्टी इस बार मौका देती है तो नगर में विकास गंगा बह जाएगी। नगर में चुनाव हारने के बाद भी मैं लगातार नगर वासियों के संपर्क में रही हूं। साथ ही नगर वासियों को मेरी सेवा से कभी कोई शिकायत भी नहीं होगी। मैंने भाजपा नेताओं व पूर्व विधायक कुशाग्र सागर की मदद से नगर में पांच सडकें डलवाने के साथ ही हाईमास्ट लाइटें लगवाईं नगर में बिजली की समस्या दूर करने के लिए नगर में 28 ट्रांसफार्मर लगवाए। इस बार जनता भाजपा उम्मीदवार को जिताने का मन बना चुकी है। इधर भाजपा से ही दूसरे दावेदार अशोक वाष्र्णेय का कहना है कि पिछले कार्यकाल के दौरान भी नगर में बिजली पानी की बेहतर व्यवस्था दी है इस बार भी बेहतर व्यवस्था ही दूंगा। पिछले कार्यकाल में नगर के बजाए व्यक्तिगत विकास हुआ है। वैसे यह तो आने वाले समय में बिसौली की जनता ही तय करेगी कि अबरार अहमद की हैट्रिक लगेगी या फिर विपक्ष को मौका मिलेगा।इधर सूत्र ये भी बता रहे है की हरिओम पाराशरी भी कल तक मोनू महाजन के साथ दिखाई पड़ते थे,और अब खुद के लिए टिकट मांगने की घोषणा कर चुके है।इधर सविता शर्मा ने विधानसभा चुनाव से लेकर पार्टी के लिए पुरजोर मेहनत की है और अब हरिओम पाराशरी के आने के बाद सविता शर्मा का टिकट भी खटाई में पड़ता नजर आ रहा है।सूत्र कहते है जो कभी अपने गांव का प्रधान न हुआ हो वो नगर का चेयरमैन कैसे,अब देखना होगा पार्टी का क्या निर्णय होगा/पूरी खबर सूत्रों पर आधारित हैं।

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