लेखक ::अखिलेश कुमार मिश्रा
बदायूँ
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पुरानी दोस्ती को इस नई ताकत से मत तोलो।
यह संबंधों की तुरपाई है षडयंत्रों से मत खोलो।।
मेरे लहजे की छेनी से गढ़े हैं देवता जो कल।
मेरे लहजे पर जो मरते थे वो अब कहते हैं मत बोलो ,वो अब कहते हैं मत बोलो।।
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जिले में चमचागिरी को पराकाष्ठा भी लोगों में इस कदर है जिसके बारे में शायद शब्दों से बयां भी नहीं किया जा सकता विधानसभा चुनाव में लोगों ने अथवा कुछ अन्य साथियों ने पूर्व विधायक एवं पूर्व मंत्री राष्ट्रीय परिवर्तन दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष डी पी यादव के लिए किस तरह ठगा इस तरह शायद कोई अपना होकर यह काम नहीं कर सकता है।क्योकि सिर्फ सहसबान के लोगो ने शराब,रुपये और खाने के साथ साथ गाड़ियों लेकर भी घूमे।पर क्या राष्ट्रीय परिवर्तन दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष इस बार फिर धोखा खा गए सिर्फ अपनो से ही।आपको बता दे की चुनाव में सहसवान की जनता को मीडिया संस्थानों ने भी डीपी यादव का रुख बताया गया ,और भरमार रुपये लिए।आपको बता दे राष्ट्रीय परिवर्तन दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष डीपी यादव सहसवान से पूर्व विधायक रहे है,और पूर्व मंत्री भी।बैसे तो राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वयं ही चुनाव लड़ते है।पर इस बार डीपी यादव ने अपने बेटे कुणाल यादव के लिए मैदान में उतारा था।कुणाल यादव की जीत के डीपी यादव खुद हेलीकॉप्टर से जनसभा की,कुणाल यादव की माँ उर्मिलेश यादव जोकि बिसौली से पूर्व विधायक रही उन्होंने भी जमकर मेहनत की,इसके अलाबा डीपी यादव की पुत्रवधू यानी कुणाल यादव की धर्मपत्नी कुंज यादव ने भी सहसवान विधानसभा क्षेत्र में जमकर मेहनत की।यानी सभी लोगो ने मिलकर जी जान लगाकर मेहनत की।अब आपको बता दे की इस पूरे चक्रब्यूह के लिए सोशल मीडिया का एक प्लेटफार्म बना,सूत्रों के मुताविक इस प्लेटफार्म में पांच से 10 सदस्य थे जोकि मेहनत पर झूठा रंग बरसाते थे।और डीपी यादव के लिए एक स्वप्न दिखाकर गुमराह करते थे।यही नही बड़े बड़े चैनलों के धरातल पर तैनात रिपोर्टरो ने भी अपने सर्वे में डीपी यादव के लिए हर कंडीशन जीतता सावित किया,और खूब रुपये कमाए।जोकि एक दिखावा कहे या फिर गद्दारी।आपको बता दे डीपी यादव भी भाजपा का एजेंडा चुनाव के दौरान अपनाते है और वो बहुत जल्दी ही विश्वास कर लेते है।जैसे कि भाजपा का एजेंडा है सोशल मीडिया को अपने और रुख करना,यही राष्ट्रीय परिवर्तन दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष डीपी यादव भी अपनाते है।पर कुछ लोग यहाँ इसका नाजायज फायदा उठाते है।आखिर क्यों?? मीडिया के लिए चौथे स्तम्भ कहा जाता है पर सच दिखाने में आखिर क्यों और क्या दिक्कत होती है।कुछ मीडिया संस्थानों द्वारा तो धरातल पर डीपी यादव के बेटे कुणाल यादव के लिए प्रचंड जीत का झूठा सपना दिखाकर एक मोटी रकम ऐंठी।पर एक बात समझ मे नही आई की नोट लिया किसी का और बोट दिया किसी को आखिर क्यों??सामने सामने डीपी यादव और मन अथबा दिल मे ब्रजेश यादव आखिर क्यों?अब तो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर भी अपना भरोसा करना कम कर दिए है।डीपी यादव के लिए चुनाव में जो हार का सामना करना पड़ा है वो सिर्फ और सिर्फ ठेकेदारी है,राष्ट्रीय अध्यक्ष डीपी यादव के लिए इस विषय पर जरा ध्यान से मंत्रणा करनी चाहिए ।
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