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मिथक भी सारे दूर हो गए, टूटे भ्रम-विश्वास।(2) योगी जी ने आकर फिर से बदल दिया इतिहास।। जोगीरा सा रा रा रा रा.....


*जोगीरा काव्य परंपरा.......* 

 *शीर्षक: विजय तिलक* 


 *मियां चले थे पहन के कुर्ता, सर पर टोपी लाल।(2)
 सत्ता आ गई फिर से भगवा, धरे रह गए ख़्याल।।
 जोगीरा सा रा रा रा रा ....

बाबा की लाठी के आगे सारे गुंडे मौन।(2)
 छोड़ के भागे, यूपी सारे चोर, माफिया, डॉन।।
 जोगीरा सा रा रा रा .....

भेंट चढ़ गए हाथी-वाथी, पंजा हुआ हताश।(2)
 धरी रह गई साइकिल-बाइकिल, कमल हो गया पास।।
 जोगीरा सा रा रा रा रा....

स्वयं को कहने वाले नेवला, चारों खाने चित।(2)
 यूपी की जनता ने खेला, खेल ये बड़ा विचित्र।।
 जोगीरा सा रा रा रा....
R.L.D. की बढ़ गई सीटें, बबुआ हो गए पस्त।(2)
 स्वप्न भी सारे धरे रह गए, ऐसी मिली शिकस्त।।
 जोगीरा सा रा रा रा रा....

मिथक भी सारे दूर हो गए, टूटे भ्रम-विश्वास।(2)
 योगी जी ने आकर फिर से बदल दिया इतिहास।।
 जोगीरा सा रा रा रा रा.....

         ~  प्रत्यक्ष पाठक 

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