बदायूँ
जिले की एक तहसील में पत्रकार खुद ही पत्रकारों पर छींटा कसी करने से बाज नही आ रहे है ।आखिर क्यों?उनका मानना है।जिले में कुछ चौथे स्तंभ के पुजारी मीडिया के नाम पर फिसड्डी सावित होते नजर आ रहे है ।जो आज दूसरे पत्रकारों पर उंगली उठा रहे है ,आज उनसे पूछा जाए की उन्होंने कितना त्याग मीडिया को किया है ।मीडिया में आने के बाद लोगो आखिर क्या किया है।इधर प्रधानमंत्री जी ने डिजिटल इंडिया बनाने का भारत को संकल्प लिए है ।पर ये भृष्ट पत्रकार एक दूसरे के ऊपर छींटाकसी करने से बाज नही आ रहे ।इधर मोबाइल फोन का जमाना सोशल मीडिया नेटवर्क देश मे बहुत तेजी से पनप रहा है ।सोशल मीडिया नेटवर्क पर हर वो ब्यक्ति पत्रकार जो मोबाइल चलाता है ।देश का हर नागरिक अधिकारीयो से सबाल कर सकता है ,ये भी करने में आम नागरिक भी स्वतंत्र है।आइए अब करते है मुद्दे की बात नगर बिसौली समेत अन्य जगहों के पत्रकार आखिर युवा पत्रकारों से क्यो रहते है नाराज अपने आप को असली और दूसरों को फर्जी क्यो कहते है।
यह है बजह पत्रकारों की पत्रकारों से
खबर एक ऐसी भी होती है जो गरीव और अमीर के बीच की होती है ।गरीव की सुनने बाला कोई नही और अमीर अपने पैसे के बल पर गरीब को नीचे गिरा देता है ।तब ये बड़े पत्रकार उसकी खबर नही लिखते और अमीर से मिलकर सौदा कर लेते है।जिसकी खबर युवा पत्रकार अपने अपने सम्बंधित अखबार, पोर्टल, अथबा अन्य वेवसाईट पर प्रकाशित कर देते है ।इससे रहते है ये नाराज क्योकि ये कर लेते है सौदा ।
बड़े बड़े पत्रकार अधिकारियों पर दवाब बनाकर बचाते है नोकरिया
किसी का रिश्तेदार,किसी का अपना कोई भी अगर सरकारी नॉकरी में है तो उसे उच्चयधिकारियो से ताल मेल कर नोकरिया बचाने में अपने चौथे स्तंभ को बदनाम करते है ।
गुप्त सूचना के अनुसार
गुप्त सूचना के अनुसार कुछ पत्रकार थाने के पुलिस अधिकारियों पर दवाब बनाकर पशु कटनी,जुआ सट्टा, अवैध बसूली जैसे कार्य कराते है ।
कुछ पत्रकार सत्ताधारी नेताओ से मिलकर अवैध कब्जा जैसे काम बड़े ही आसानी से कर लेते है ।औऱ बड़ी रकम ऐठ लेते है ।
राष्ट्रीय ध्वज का अपमान चौथे स्तंभ ने दवा दिया
26 जनवरी को नगर बिसौली समेत पूरा देश गणतंत्र दिवस बड़े ही हर्सोल्लास से मना रहा था।तो नगर बिसौली में कुछ सत्ताधारी नेताओ द्वारा एक फोटो खिंचवाई जिसमे तिरंगा स्वरूप रंगोली पर पैर रखे हुए नेताओ का फोटो सोशल मीडिया पर जमकर बायरल हुआ ।जिसे बिसौली की मीडिया को आज तक नही दिखाई दी क्योकि नगर के बड़े पत्रकारों द्वारा इनसे मोटा विज्ञापन जो मिलता है ।अगर इस जगह किसी अधिकारी या आम आदमी का फोटो बायरल होता तो इन पत्रकारों द्वारा अखबार के पहले पेज की खबर होती और जब तक गिरफ्तार कर जेल न हो जाती तब तक कलम नही रुकती ।आपको बता दे कुछ जगह के पिछले थानाध्यक्ष के कार्यकाल में अपने को बड़ासमझने वाले पत्रकारों का जमावड़ा हर समय कोतवाली में जमा रहता था।
जो इस समय नहीं हो पा रहा है।अपने आपको बड़ा और असली पत्रकार बताने वालों को अखबार कोई वेतन नहीं देता फिर भी इन पत्रकारों का हाई फाई शॉक और खर्चा आखिर कहाँ से आता है पैसा?अपने आपको बड़ा और असली बताने वाले पत्रकारों में से किसी की पत्नी किसी का भाई किसी का चाचा किसी का बेटा सत्ताधारी पार्टियों में है पदाधिकारी हैं इसलिए पत्रकार का काम एक राजनीतिक पार्टी के सदस्य के रूप में करते हैं जल्दी ही युवा पत्रकारों का संगठन ऐसे भ्रष्ट पत्रकारों की गोपनीय जाँच हेतु गोपनीय जाँच का माँग पत्र सीएम को भेजेगा।जिससे पत्रकरिता की आड़ में होने वाली ठेकेदारी अपने परिवार के कर्मचारियों को अवैध लाभ पहुंचाने पत्रकरिता की आड़ में अवैध कब्जे करने वाले चेहरे बेनकाब हो सकें।
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