*रुदायन बदायूँ*
बार्ड नम्बर 08 मोहल्ला बबनपुरी पं0 शिवम पाठक पुत्र सुशील पाठक के मकान के सामने हनुमान जी के मन्दिर के निकट
अधिक मास में चल रही श्री राम कथा में आज श्री राम जी के जन्मोत्सव की कथा सुनाई कथा व्यास श्री सोनू महाराज ने संगीत में कथा सुना कर भक्तो को भाव विभोर कर दिया
अयोध्या नाम का एक नगर है जहां के राजा दशरथ धर्म धुरंधर और गुणवान है और भगवान के प्रति सच्चा इसने है हर पल हर क्षण हर कार्य भगवान को समर्पित रखते हैं कई विभागों के पश्चात भी जब उनकी कोई बालक नहीं हुआ आज बुढ़ापे में यह सोच कर कि मेरा वंश कैसे चलेगा बहुत दुखी हुए रात भर नींद नहीं आई प्रात उठकर ही गुरु के पास गए और हाथ जोड़कर चरणों में माथा रख दिया और भोले गुरुदेव सब प्रकार की व्यवस्थाएं मेरे पास हैं पर एक कमी महसूस होती मेरे कोई पुत्र नहीं है क्या मेरा वंश यहीं खत्म हो जाएगा गुरुदेव ने कहा अब तुम्हारे मन में लालसा जगी है लाल मिलेंगे जरूर मिलेंगे और एक नहीं धैर्य रखो राजन चार चार बेटों के पिता बनोगे जब गुरुदेव ने श्रृंगी ऋषि को मिलाकर सरयू के किनारे 84 जड़ी बूटियों को मिलाकर सामग्री बनाई और विधि विधान से पुत्र कामेश थी यज्ञ कराया जैसे ही यज्ञ पूर्ण मंत्र बोला गया यज्ञ भगवान प्रकट हुए और उन्होंने खीर का प्रसाद दिया जो राजा ने दो रानियों को दिया केकई और कौशल्या दोनों ने अपने भाग में से थोड़ा-थोड़ा भाग सुमित्रा को दिया सुमित्रा ने भी संकल्प लिया और कह दिया मेरे दो पुत्र हुए तो एक मां कौशल्या के बेटे की सेवा में और एक मां कैकई के बेटे की सेवा में समर्पित कर दूंगी जिस दिन से भगवान गर्भ में लीला बस आए हैं सारी रतिया सिद्धियां में आ गई सुख संपन्न तालुट आने लगी महारानी की सुंदरता और बढ़ गई है शोभा और सील का तेल चेहरे पर झलकता है कौशल्या मां हर समय नारायण का जाप करती हैं और सुंदर सुंदर भवन में चित्र लगाए गए हैं ऋषि मुनियों के दर्शन संतो के दर्शन और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करती हैं मनन सुमिरन और हवन में लगी रहती पूजा आज आफताब अनुष्ठान समस्त नगरवासी करते हैं और कहते हैं हमारे समस्त पुण्य के फल स्वरुप हमारे राजा को एक संतान दे दो प्रभु चित्रों से मूर्तियों से प्रतिमाओं से चिंतन बनता है चिंतन से चरित्र बनता है और सुन्दर चरित्र से यस धन प्रतिष्ठा प्राप्त होती है
गोस्वामी जी बताते हैं चैत्र का महीना है नवमी तिथि है मंगलवार का दिन है दोपहर का समय न सर्दी है ना गर्मी है मेरे रामजी का प्रिय अभिजीत मुहूर्त जो सबको शांति सुख और मर्यादा देने वाला होता है उसी मुहूर्त में ठीक 12:00 बजे चतुर्भुज भगवान प्रकट हो गए l मां कौशल्या ने बहुत प्रकार से पूजा अर्चना की उसके बाद कहां आप बेटे बनकर नहीं बाप जैसे बनकर आए कौन समझेगा यह मेरा बेटा भगवान बोले फिर क्या करना है कौशल्या जी बोली छोटा बनना पड़ेगा भगवान थोड़े छोटे हुए और छोटे हो भगवान और छोटे हो गए क्या और छोटे हो बोले जैसे तुरंत का बालक होता है ऐसे हो जाइए भगवान इतने छोटे गोदी में खेलने लगे तुम तो खेल रहे हो रोते क्यों नहीं मुझे कोई दुख ही नहीं भगवान भोले भगवान भोले आप जैसे कहो और खूब चीज से करने लगे अवध हर वक्त के कान में भगवान के आने की आवाज पहुंच गई सारे नगर में प्रसन्नता छा गए दशरथ को जब पता चला तो एकदम ब्रह्मानंद में डूब गए और कहने लगे जिसका नाम सुनकर शुभ होता है आज वही ईश्वर मेरे घर आया है और दास्तां शिष्यों से कहा जाओ सब बाजे वालों को बुला लाओ बाजे बजने दो और जितना भी भंडार में दाम था सब लुटा दिया लेकिन आज जिनके कपड़े फटे हैं जिनके पास खाने को नहीं है जिनके पास अति गरीबी है वह भी लूटते तो हैरान पर खुद इस्तेमाल नहीं करते दूसरों को दे देते हैं कहते हैं हमें क्या करना हम तो भगवान के हैं और भगवान हमारे जिसने भी पाया अपने पास नहीं रहा,
आज अयोध्या नगरी ऐसी हो रही है इतनी सुंदर है जैसे भगवान के जन्म में कामदेव की पत्नी रति स्वयं अयोध्या रूप में उपस्थित है लेकिन एक देवता दुखी है तीनों लोगों में सबके चेहरे पर प्रसन्नता है वह देवता कौन है वह है भगवान चंद्र भगवान सूर्य के समय में भगवान का जन्म हुआ और आनंद मंगल बधावा आदि में कब महीना निकल गया पता ही नहीं चला सूर्य देव अपना अपना अपना रथ चलाना ही भूल गए, गोस्वामी जी कहते हैं तब भगवान ने चंद्रकोना राज देखकर कहा हे चंद्रदेव परेशान मत हो हम द्वापर में कृष्ण के रूप में आएंगे, लेकिन अपने नाम के आगे तुम्हारा नmjलिखा चंद्र और तुम्हारा नाम मेरे साथ देखा जाएगा तब भी चंद नाराज रहे और अंत में उन्होंने कह दिया इस जीवन में भी मेरे नाम के साथ तुम्हारा नाम जुड़ेगा इसलिए भगवान का नाम रामचंद्र है भगवान भोलेनाथ पार्वती से कहते हैं देवी कि मेरे राम का चरित्र बुद्धिमान ओं को नहीं है विश्व में तर्क ढूंढने यह तो भक्तों को है l बुद्धिमान व्यक्ति तर्क खोजता है और भक्ति वान व्यक्ति भगवान खुश था
इस राम जन्म की कथा के
यजमान के रूप में हरिओम आचार्य जी,हिमांषु उपाध्याय,शिवम पाठक,अरविंद राजेन्द्र पंडित,वीरेंद्र मिस्त्री,किशनवीर मिस्त्री, भोरे कुशवाह, मुनेश उपाध्याय, भगवान स्वरूप शर्मा,राजेश पालीवाल, बंटू पालीवाल, राहुल पालीवाल, आराध्य पाठक, रुदायन के हजारों की सँख्या में कथा प्रेमी मौजूद रहे।
लेखक सह सम्पादक पं0 महन्त अर्जुन उपाध्याय की कलम से
0 Comments