कल रात अखिलेश यादव की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद यूपी में जो नजारा बन गया है, वह साबित कर रहा है कि इस चुनाव में सपा की ही लहर थी। कान्फ्रेंस में अखिलेश ने EVM और मतगणना में धांधली का जो मुद्दा उठाया, उसने इस वक्त न सिर्फ उत्तर प्रदेश प्रशासन की घिग्घी बंधवा दी है बल्कि सड़कों पर भी सिर्फ सपा के ही कार्यकर्ता और नेता नजर आ रहे हैं।सपा की ऐसी धमक चुनाव के दौरान भी देखने को मिल रही थी और भाजपा या अन्य दल लगभग नगण्य ही उपस्थिति दिखा पा रहे थे। अखिलेश की जनसभाओं में उमड़ने वाला जन सैलाब भी इस बात की गवाही दे रहा था कि यूपी में सपा ने बाकी सभी दलों की बोलती बंद कर दी है।EVM पर तो अखिलेश ने जैसा जन आंदोलन यूपी में खड़ा कर दिया है, वैसा इससे पहले कोई विपक्षी नेता कहीं किसी और राज्य में नहीं कर पाया। चुनाव में नतीजे अब कुछ भी निकलें लेकिन इतना तो अब तय हो चुका है कि अखिलेश न सिर्फ यूपी बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी बड़ी राजनीतिक ताकत बन चुके हैं।
टूट सकता है भाजपा समर्थकों का दिल … क्योंकि पिछले चार विधानसभा चुनावों के एग्जिट पोल दे चुके हैं धोखा
नतीजे आने से पहले यूपी में विधानसभा चुनावों के एग्जिट पोल देख कर ही जश्न मना रहे भाजपा समर्थकों को पुराने एग्जिट पोल के आंकड़े भी जरुर देख लेने चाहिए। ये आंकड़े बताते हैं कि पिछले चार विधानसभा चुनावों में किए गए सभी एग्जिट पोल गलत ही साबित हुए हैं।जिन्हें याद नहीं हो, उसकी जानकारी के लिए बता दें कि 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले हुए हरियाणा, महाराष्ट्र, बिहार और बंगाल के विधानसभा चुनावों के एग्जिट पोल जिन नतीजों का दावा कर रहे थे, उसके उलट ही नतीजे मतगणना के बाद देखने को मिले थे।लिहाजा 10 मार्च यानी गुरुवार को नतीजे आने पर ताजातरीन सभी एग्जिट पोल भी अगर एक बार फिर गलत साबित हो जाएं तो किसी को आश्चर्य तो नहीं होना चाहिए। शायद यही वजह भी है कि सभी एग्जिट पोल में भाजपा सरकार बनते देख कर भी सपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के हौसले टूटने की बजाय सरकार में वापसी की जबरदस्त उम्मीद के ही बने हुए हैं।
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