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महिला दिवस परआकांक्षा शर्मा द्वारा रचित कविता



कवियत्री शिक्षिका आकांक्षा शर्मा द्वारा रचित कविता


बीसवीं सदी की नारी
नारी है कोई चीज़ नही
जो मोल भाव लगाते हो।
उसकी कीमत वो क्या जाने
जो कुछ दहेज में बिक जाते हैं।।

आज किसी पर बोझ नही वो 
साथ चलती बड़े शान से
उसकी कीमत वो क्या जाने
जो बदलते नही नजरिया हैं।

आज की नारी सब पर भारी
पर है ममत्व में कमी नही
आज भी रहती संस्कारों में
चाहे बाहर हो या घर मे हो।
उसकी कीमत वो क्या जाने
जो रहते हो अहंकारों में।

आर्थिक हो, समाजिक हो
चाहे राजनीति का क्षेत्र हो।
जिंसने उसको मान दिया 
उसका वो देती साथ सदा।
उसकी कीमत वो क्या जाने
जो मानते उसको कम ही सदा।।

आज की नारी बदल गयी अब
समझ गयी अपनी कीमत को।
बढ़चढ़ कर हिस्सा है लेती ।
चाहे कोई अवसर हो।
उसकी कीमत वो क्या जाने
जो माने उसको बोझ सदा।।
~ spiritual Akanksha

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