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बिहार_विधानसभा_चुनाव_2020 2. नवल क्रांति की नूतन तरंग यह ( 28 / 08 / 2020 )



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साम्यवाद का चूरन मिल गया , जातिवादी घोल में 
कलतक पानी पीकर जिसे कोसता रहा , 
उसी के लिए मिठास घुली रही , पोपले - पोपले बोल में  

जिसने खाया था जनाधार , आज वही पतवार बना है 
क्रांति- पुत्र के चरण छूने का चमचई फंडा 
लाल दरिया में लाल नाव का , लाल युवा ही खेवनहार बना है

बुद्धिजीवियों की बुद्धि , शुद्धिकरण की ओर बढ़ा है 
क्षुब्ध होकर लेलिन एक बार फिर से 
गंजे सिर पर बार - बार हाथ फेर रहा है ,

नवल क्रांति की नूतन तरंग यह , हे राजन तरंगित हो जाओ
भ्रम तजों हे मूढमति तुम , थोड़ी अब तो सुधि - गति- मति पा लो 
शरण में आया हूँ , हे लीलाधर कन्हैया अब तुम ही भवसागर पार लगाओ ।

©®
डॉ अभिषेक कुमार

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