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ऐ मरीज़ तुझे हुआ क्या है तू खुद की बता तेरे मर्ज़ की दवा क्या है..झोलाछाप डॉक्टर अथबा अस्पताल


बदायूँ
नगर अथबा ग्रामीण क्षेत्रों  में झोला छाप डॉक्टरों की भरमार है। ग्रामीण छेत्रों में झोला छाप डाॅकटर सुबह अपने रोजगार के लिए नगर से ग्रामों में निकल पडते है। एक छोटा सा ग्राम जिसकी आवादी नगर अथबा ग्रामीण क्षेत्रों लोगो की होती है इसमें भी बह आठ झोला छाप डाॅक्टर अभ्यास करते है। और ग्रामीणो का इलाज करते है। यह वह झोलाछाप डाॅक्टर होते है। जो किसी मेडिकल स्टोर से सीखा गया ज्ञान या फिर किसी डिग्री धारक डाॅक्टर के क्लीनिक पर एक दो साल का तजुर्वा लेकर ग्रामीणों का इलाज करते है। जिन्हें दो चार लाल पीली गोलियों के बारे मे जानकारी होती है। अतः बह उन दो चार लाल पीली गोलियों से ग्रामीणों के स्वास्थ्य को ठीक करने की कसम सी खा लेते है। उन्ही गोलियों से ही स्वास्थ्य बिगड जाता है। जिससे दवा का गलत प्रभाव से जान तक गवानी पड जाती है। यह तो ग्रामीण इलाकों की बात है नगर बिसौली में बिल्सी रोड जहाँ टीन शेड डालकर डिलीवरी होती है,इसके अलावा आँवला से दवतोरी बाईपास,चन्दौसी रोड समेत नगर में दर्जनों झोलाछाप अस्पताल खुल चुके है,सूत्रों के मुताबिक कुछ दिन पहले एक नोटिस नुमा कोई कागज आया जिसे लेकर अस्पताल बाले जिलाअस्पताल पहुँचे जहाँ अपनी सेटिंग्स की और फिर धड़ल्ले से कार्य मे तेजी आ गयी।यही नही सूत्र ये भी है नगर के झोलाछाप अस्पतालों में कम्पटीशन बहुत ज्यादा चल रहा है,आशाओं को बुलाने के लिए मरीज से लिये हुए रुपये में 50%परसेंट तक दिया जाता है।कुछ दिन पहले झोलाछाप अस्पताल के कर्मचारियों में अस्पताल में झगड़ा हुआ,वहाँ जम मीडिया पहुची तब तक शांत हो गया।तो कुछ डाॅक्टर तो अत्यघिक फीस वसूलने हेतू तीन चार इंजेक्शन और तथा तीन चार वोतले इन झोला छाप डाॅकटरो द्वारा लगा दी जाती है इसी लापरवाही के चलते लोगो को जान तक गवानी पड जाती है इसी  लापरवाही की वदोलत ना जाने कितने झोला छाप लोगो की जिन्दगी से खिलबाड करते रहेगे इधर बिसौली कस्वे मे झोला छाप डाॅकटरों की भरमार है लगता है कि झोला छाप डाॅकटरों पर स्वास्थ्य विभाग कुछ जायदा ही मेहरबान है। जो कि किसी बिना डिग्री के स्वास्थ्य विभाग के कुछ अधिकारियों की सरपरस्ती में जमकर लोगो के स्वास्थ्य से खिलवाड कर रहे है हालाकि इनकि षिकायतें तो होती है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा छापे मारी की ओपचारिकतायें पूरी करते हुए जाँच के नाम पर एक नोटिस थमाते है लेकिन बाद में साट गाट के माध्यम से धन्धा चालू हो जाता है स्थानियें लोगो के मुताविक नगर मे ंही करीब तीन दर्जन से ज्यादा छोटी और बडी  झोला छाप डाॅकटरों की दुकाने चल रही है यहलोगो लोग जमकर स्वास्थ्य सेवाओं का मजाक ही नही उडा रहे बल्कि लोगो के स्वास्थ्य से खुलकर खिलवाड कर रहे है जबकोई मामला बिगडता है तो फिर उस मामले मे चिकित्सा अधिकारियों को शिकायत की जाती है। तो जिलास्तर से एक टीम मोके पर पहुँचती है और बह प्रत्यक्ष रूप से आरोपी को केवल नोटिस थमाती है जबकि आरोपी की माने तो पीछे के रास्ते से  साट गाठ का खेल खेला जाता है मगर इन शब्दों मे कहा जाए र्कोइ भी शिकायत की जाती है तौ स्वास्थ्य विभाग के कुछ अधिकारियों के लिए व शिकायत दुधारू गाय का काम करती है इससे पीडितो लाभ मिले या न मिले आराोपी के खिलाफ कार्यवाही हो या न हो मगर उन अधिकारियों को जरूर सांठ गांठ का लाभ मिल जाता है। लोगों की माने तो स्वास्थ्य विभाग की टीम तो साल में या  कोई घटना होने के वक्त छापे मारी का नाटक करती है जब कुछ झोला छाप डाॅकटरो को पकड लिया जाता है तो कार्यवाही के नाम पर नोटिस थमा दिया जाता है।पर बाद में सिर्फ समझौता हो जाता है और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी नोटिस को भूल जाते है।स्वास्थ्य विभाग की छूट के चलते  झोला छाप डाॅक्टर पूरी तरह से पैर पसारे वेरोकटोक धंधा चला रहे है अगर ऐसे ही स्वास्थ्य विभाग की ओर से  झोला छाप डाॅक्टरो को ऐसे ही विषेश छूट मिलती रही तो ये पूरे क्षे़त्र मे मकढजाल की तरह फैलते रहेंगे।


मौन बैठकर मौतों का इंतजार कर रहा है स्वास्थ्य विभाग

नगर में बिना रजिस्ट्रेशन चल रहे हजारों की संख्या में अस्पताल जिनके लिए आखिर मौतों का ठेका किसने दे दिया है।कुछ गुप्त लोगो ने नाम न छापने की शर्त पर बताया की जिला स्तर पर मोठी रकम जाती है।जोकि हर महीने दी जाती है,जब अधिकारी चेकिंग के लिए आते है तो उन्हें सूचना पहले ही दे दी जाती है।


आखिर ये डॉक्टर पैदा कहा से होते है

जिले में काफी बड़े और चर्चित अस्पताल है जहाँ 2हजार से लेकर 5हजार में काम करने बाले लड़को के लिए इंग्जेक्शन लगाना सिखाया जाता है,कुछ दिन काम करने के बाद वो अपने गांव में जाकर एक दुकान खोल लेते है,और लाल पीली गोली देकर इलाज करते है इसी तरह ये बिना लाइसेंस बिना डिग्री के अस्पताल खोल लेते है और इसके बाद इनके यहाँ हो जाता है मौतों का खेल।

वर्जन
जब इस सम्बंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी से बात करनी चाही तो उनका फोन नही लग पाया

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